नई दिल्ली: अगर इन दिनों भारत की राजधानी दिल्ली की स्वच्छता पर ध्यान दिया जाए तो यहां की सबसे बड़ी खासियत बना हुआ है कूड़ा घर, कूड़े के पहाड़ों से परेशान दिल्लीवासियों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया है, ऐसे में अब उनकी सुरक्षा के लिए कड़ा कदम उठाया जा रहा है, जिससे अब ना हवा प्रदूषित होगी और ना ही भूजल.
अब कूड़े का होगा निस्तारण
दिल्लीवासियों के लिए राहत की खबर यह है कि यहां देश की तीसरी ऐसी आधुनिक लैंडफिल साइट बनने जा रही है, जिससे कचरे को शोधित कर बागवानी में उसका उपयोग किया जा सकेगा.इस तरह की लैंडफिल साइट देश में अब तक मात्र महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में है.दक्षिणी नगर निगम ने ओखला तेहखंड में 18 माह में इसका निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जिस पर करीब 53.89 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
राजधानी दिल्ली में मौजूद चार लैंडफिल साइट परंपरागत तरीके की हैं, जिनमें से तीन कूड़े के पहाड़ के रूप में तब्दील हो चुकी हैं.यहां इकट्ठा हुए कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है.एक साइट पर फिलहाल ज्यादा कचरा इकट्ठा नहीं हुआ है. राजधानी दिल्ली में कूड़े के पहाड़ की समस्या दिन व दिन बढ़ रही थी. ऐसे में निगम ने दक्षिणी दिल्ली के ओखला में आधुनिक लैंडफिल साइट बनाने का रास्ता साफ हो गया है. यहां न सिर्फ कूड़े का निस्तारण होगा, बल्कि प्रदूषण की समस्या का भी समाधान हो जाएगा. दिल्ली में फिलहाल चार लैंडफिल साइट हैं.
बताया जा रहा है कि सामान्य लैंडफिल साइट से यह काफी अलग होगी. यहां 8-11 मीटर गहराई का गड्ढा खोदा जाएगा.कीचड़ के रूप में तब्दील होने वाला कचरा सीधे जमीन के अंदर न जाए, इसके लिए गड्ढे में जीओ मेंब्रेन तकनीक से प्लास्टिक की परतें बिछाई जाएंगी.इस पर जो कीचड़ एकत्र होगा, उसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये शोधित किया जाएगा.लैंडफिल साइट कूड़े के पहाड़ में तब्दील न हो, इसलिए इसमें कूड़े को सीधे नहीं डाला जाएगा, बल्कि वेस्ट टू एनर्जी यानी कि कूड़े से बिजली प्लांट से निकली राख और गीले कचरे से खाद बनाने में जो भी कूड़ा बचेगा, उसे दोबारा रीसाइकिल किया जाएगा.
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